Pandit Vipin Krishna Shastri: Astrolger & Katha Vyas

Pandit Vipin Krishna Shastri-Astrolger & Katha Vyas

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Friday 6 February 2015

Gandmool Nakshtra- गंड मूल [सतइसा ] नक्षत्र विवरण

ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में 6 नक्षत्र गंड मूल नक्षत्रों की श्रेणी में माने गये हैं.-अश्वनी,-आश्लेषा,-मघा-
,ज्येष्ठा,-मूल और रेवती.

इन नक्षत्रों में उत्पन्न जातक –जातिका गंड मूलक कहलाते हैं .इन नक्षत्रों में उत्पन्न जातक स्वयं व् कुटुम्बी जनों के लिये अशुभ माने गये हैं.

जातो न जीवतिनरो मातुरपथ्यो भवेत्स्वकुलहन्ता |

लेकिन पहले यह जानना परम आवश्यक है कि गंड मूल किसे कहते हैं

गंड कहते हैं –जहाँ एक राशि और नक्षत्र समाप्त हो रहे हो उसे गंड कहते हैं .

मूल कहते हैं –जहाँ दूसरी राशि से नक्षत्र का आरम्भ हो उसे मूल कहते हैं .

राशि चक्र और नक्षत्र चक्र दोनों में इन ६ नक्षत्रो पर संधि होती है और संधि समय को जितना लाभकारी माना गया है 
उतना ही हानिकारक भी है .संधि क्षेत्र हमेशा नाजुक और अशुभ होते हैं इसी प्रकार गंड मूल नक्षत्र भी संधि क्षेत्र में आने से दुष्परिणाम देने वाले होते हैं और राशि चक्र में यह स्थिति तीन बार आती है

अब यह समझने का प्रयास करे कि कैसे इन ६ नक्षत्रो को गंड मूल कहा गया है

1-आश्लेषा नक्षत्र और कर्क राशि का एक साथ समाप्त होना और यही से माघ नक्षत्र और सिंह राशि का प्रारम्भ .
2-ज्येष्ठा नक्षत्र और वृश्चिक राशि का समापन और यही से मूल नक्षत्र और धनु राशि का प्रारम्भ .
3-रेवती नक्षत्र और मीन राशि का समापन और यही से अश्वनी नक्षत्र और मेष राशि का आरम्भ

तो यहाँ तीन गंड नक्षत्र हैं –आश्लेषा ,ज्येष्ठा ,रेवती.

और तीन मूल नक्षत्र हैं –मघा, मूल और अश्वनी

जिस प्रकार एक ऋतु का जब समापन होता है और दूसरी ऋतु का आगमन होता है तो उन दोनों ऋतुओं का मोड स्वास्थ्य के लिये उत्तम् नहीं माना गया है इसी प्रकार नक्षत्रों का स्थान परिवर्तन जीवन और स्वास्थ्य के लिये हानिकारक माना गया है

इन नक्षत्रों में जिनका जन्म हुआ हो तो उस नक्षत्र की शान्ति हेतु जप और हवन अवश्य कर लेनी चाहिए

1-अश्वनी के लिये 5000 मन्त्र जप .
2-आश्लेषा के लिये 10000 मन्त्र जप
3-मघा के लिये 10000 मन्त्र जप.
4-ज्येष्ठा के लिये 5000 मन्त्र जप.
5-मूल के लिये 5000 मन्त्र जप .
6-रेवती के लिये 5000 मन्त्र जप

इन नक्षत्रों की शान्ति हेतु ग्रह, स्व इष्ट, कुल देवताओं का पूजन ,रुद्राभिषेक तथा नक्षत्र तथा नक्षत्र के स्वामी का पूजन अर्चन करने के बाद दशांश हवन किसी सुयोग्य ब्राह्मण से अवश्य करवाए .

            शुभम भूयात .