Pandit Vipin Krishna Shastri: Astrolger & Katha Vyas

Monday, 21 October 2013

Kemadruma Yoga (Hindu astrology)-केमद्रुम योग ज्योतिष

जन्म कुण्डली में चन्द्रमा से बारहवें तथा दूसरे भाव में यदि एक भी ग्रह न हो तो उसे केमद्रुम योग कहते हैं इस प्रकार की जब स्थिति जब कुण्डली में  बनती है तो जातक से लक्ष्मी का वियोग होता है . कुण्डली में यदि चन्द्रमा को सम्पूर्ण ग्रह देख रहो हों तो केमद्रुम योग को भंग कर जातक को सम्पूर्ण सुख की प्राप्ति होती है और जातक चिरंजीवी रहता है . चन्द्रमा से यदि केन्द्र [1-4-7-10] भाव में यदि सब ग्रह स्थित हों तो केमद्रुम योग को नष्ट कर जातक को श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है इसी प्रकार जन्मकुंडली में यदि जातक की मेष राशि हो और मंगल और गुरु तुला राशि...

Friday, 4 October 2013

Navratri Durga Puja- आश्विन नवरात्रि -२०१३ (५ अक्टूबर-१३ अक्टूबर )

आश्विन नवरात्रि -२०१३ (५ अक्टूबर-१३ अक्टूबर )पराम्बा भगवती महामाया की उपासना का पर्व है नवरात्रि .नवानां रात्रीणाम् समाहार:--नवरात्रम् नौ रात्रियों के सम्मिश्रण का नाम है नवरात्र .इन नौ दिनों में भगवती के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है और जो इन नव दिनों में भगवती की उपासना करता है तो माँ कहती है --सानिध्यं तत्र स्तिथि:--में सदैव उनके साथ रहती हूँ और उनके घर में किसी वास्तु का आभाव नहीं रहता और माँ की कृपा बनि रहती है .भगवती दुर्गा भक्ति और शक्ति का प्रतीक है .स्वयं भगवान राम ने आश्विन मास में रावण वध के समय नवरात्रि पूजन किया था .जब...

Tuesday, 20 August 2013

Jyotish Falit-ग्रहों की अवस्थायें एवं उनका फल

ग्रह अपने निरंतर भ्रमण में विभिन्न स्थितियों में पहुचते है और यही स्थितियां ग्रहों की अवस्थायें कहलाती हैं.प्रत्येक अवस्था का अपना-अपना फल होता है और कुण्डली विश्लेषण के समय ज्योतिषी को इन अवस्थाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए . १-दीप्तावस्था  २-स्वस्थ अवस्था  ३-मुदित अवस्था  ४-शांत अवस्था  ५-शक्त अवस्था  ६-पीड़ित अवस्था  ७-दीन अवस्था  ८-विकल अवस्था  ९-भीत अवस्था  १०-खल अवस्था  १-दीप्तावस्था ---जब ग्रह अपनी उच्च राशि में रहता है तो वह दीप्त होता है इस स्थिति में जातक को धन लाभ ,अपने...

Saturday, 17 August 2013

Jyotish-ज्योतिष ज्ञान

जय बद्री विशाल ,      अप्रत्याक्षाणि शास्त्राणि विवादस्तत्र केवलं       प्रत्यक्षं ज्योतिषं शास्त्रं चंद्रार्को यत्र साक्षिनों. अनादि काल से मानव अज्ञात एवं अगोचर को जानने के लिये संवेदनशील एवं जिज्ञासू रहा है मानव की इसी जिज्ञासा प्रवृत्ति के कारण चिंतनशील प्रबुद्ध मनीषियों ने अपने परिवेश से सहस्रों मील दूर संचरणशील ग्रह नक्षत्र एवं ताराओं के स्वरुप एवं उनके पारस्परिक प्रभावों का गहन निरीक्षण .अध्ययन एवं चिंतन प्रारंभ किया .मानव जीवन को सुव्यवस्थित रूप प्रदान करने के लिये ऋषियों ने अध्यात्म एवं वैदिक...

Thursday, 8 August 2013

Shani Sade Sati-शनि ग्रह की साढ़ेसाती

शनि ग्रह प्रत्येक राशि में ढाई वर्ष भ्रमण करने पर अगली राशि में प्रवेश करता है इस तरह जन्म राशि के द्वादश भाव में जिस दिन शनि प्रवेश करता है उसी दिन से शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ हो जाती है .उस राशि का भ्रमण ढाई वर्ष पूर्ण करके जन्म कुण्डली में चन्द्रमा जिस राशि में है उस राशि में प्रवेश करने पर दूसरा ढाई वर्ष  और उससे अगली राशि में जब प्रवेश करे उसके ढाई वर्ष के गति से साढ़ेसात वर्ष का भ्रमण -इसी को साढ़ेसाती कहते हैं.    प्रत्येक राशि में शनि ढाई वर्ष की गति से बारह राशि का भ्रमण ३० वर्ष में पूरा करता है    जन्म कुण्डली...

Raksha Bandhan 2013 - रक्षाबंधन

इस वर्ष श्रावण  पूर्णिमा  दो दिन व्याप्त है 20 अगस्त मंगलवार को प्रात:10:22 से आगामी दिन 21 अगस्त को प्रात: 7:15 तक रहेगी लेकिन 20 अगस्त को  भद्रा भी प्रात: 10:22 से रात्रि 20:49 तक रहेगी . धर्म सिंधु के अनुसार -   रक्षावन्धनमस्यामेव पूर्णिमायां भद्रा रहितायां त्रिमुहुर्ताधिकोदय व्यापिनी अपराह्ने प्रदोषे वा कार्यम.     शास्त्र के अनुसार 20 अगस्त मंगलवार को भद्रा रहित काल में रात्रि 20:49 के बाद रक्षावन्धन पर्व मनाया जा सकता है    लेकिन अधिकांशत: भाई बहिन  पूजा पाठ नित्यकर्मो से निवृत होकर निराहार...

Saturday, 20 July 2013

शनि राहू केतु का मानव जीवन पर प्रभाव और उपरी हवा से सम्बन्ध

अक्सर हम लोग कहा करते हैं कि उपरी हवा लग गयी है. हमारे धर्म ग्रंथों में इसकी विस्तृत विवेचना की गयी है. कुछ ग्रन्थ इन्हने बुरी आत्मा मानते हैं, लेकिन ज्योतिष के शनि, राहु, केतु विशेष रूप से उपरी हवा का कारक ग्रह माना गया है. उपरी हवाओं का विशेष प्रभाव कुऐं, चोराहे तथा गंदे स्थानों में होता है, इसलिए ऐसी जगहों पर जाने वालों पर उपरी हवा अपना विशेष प्रभाव डालती है तथा रात और दिन के अभिजित समय (रात के १२ बजे और दिन के १२ बजे) में इनका प्रभाव विशेषरूप से द्वार के चोखट पर माना गया है. ज्योतिष के अनुसार जब राहु, केतु और शनि का प्रभाव जातक की कुंडली...

Wednesday, 17 July 2013

मानव जीवन पर ग्रह राशियों का नकारात्मक प्रभाव -ज्योतिष कुंडली

ग्रह जब भ्रमण करते हुए संवेदनशील राशियों के अंगों से होकर गुजरता है तो वह उनको नुकसान पहुंचाता है। नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को ध्यान में रखकर आप अपने भविष्य को सुखद बना सकते हैं। वैदिक वाक्य है कि पिछले जन्म में किया हुआ पाप इस जन्म में रोग के रूप में सामने आता है। शास्त्रों में बताया है--पूर्व जन्मकृतं पापं व्याधिरूपेण जायते- अत: पाप जितना कम करेंगे, रोग उतने ही कम होंगे। अग्नि, पृथ्वी, जल, आकाश और वायु इन्हीं पांच तत्वों से यह नश्वर शरीर निर्मित हुआ है। इन्हीं में मेष, सिंह और धनु अग्नि तत्व, वृष, कन्या और...

Monday, 7 January 2013

Jyotish Shastra-ज्योतिष शास्त्र

आकाशस्थ ग्रहों की विशेष गति व् स्तिथि से भौतिक सृष्टि पर पड़ने वाले परिणामों का विशेष विवेचन करना ही ज्योतिष शास्त्र का उद्देश्य है . ज्योतिष शास्त्र के मुख्य रूप से दो भाग है .     १-ग्रह ज्योतिष     २-फलित ज्योतिष इन दो भागों का वर्णन तीन विभागों में किया गया है      १-सिद्धांत      २-संहिता      ३-जातक ग्रह ज्योतिष में सिद्धांत और...