जन्म
कुण्डली में चन्द्रमा से
बारहवें तथा दूसरे भाव
में यदि एक
भी ग्रह न हो तो उसे
केमद्रुम योग कहते हैं
इस प्रकार की
जब स्थिति जब
कुण्डली में बनती है तो
जातक से लक्ष्मी का
वियोग होता है
.
कुण्डली में
यदि चन्द्रमा को
सम्पूर्ण ग्रह देख रहो
हों तो केमद्रुम योग
को भंग कर
जातक को सम्पूर्ण सुख
की प्राप्ति होती
है और जातक
चिरंजीवी रहता है .
चन्द्रमा से
यदि केन्द्र [1-4-7-10] भाव में
यदि सब ग्रह
स्थित हों तो
केमद्रुम योग को नष्ट
कर जातक को
श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती
है इसी प्रकार
जन्मकुंडली में यदि जातक
की मेष राशि
हो और मंगल
और गुरु तुला
राशि में स्थित
हों और सूर्य
कन्या राशिगत हो
तो व्यक्ति को
राजयोग का फल
मिलना संभव रहता
है
शुभम भूयात
Acharya Vipin Krishna
Jyotishi, Vedpathi & Katha Vachak
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