रक्षावन्धन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को
मनाया जाता है इसे श्रावणी पर्व भी कहते हैं यह त्यौहार भाई -बहिन के अटूट प्रेम
का प्रतीक है। भारतीय सनातन पद्धति के अनुसार रक्षा वन्धन का त्यौहार विश्वास ,समर्पण
व् निष्ठा का त्यौहार है। रक्षा वन्धन का अर्थ है -रक्षा के लिये बांधना,---अर्थात
जब भाई को बहिन राखी बांधती है तो भाई का
परम कर्तव्य बनता है बहिन की पग-पग पर रक्षा करना।
पूर्व
काल में यह पर्व केवल भाई बहिन तक ही सीमित नहीं था अपितु विकट विषम परस्थिति आने पर
किसी के आरोग्य की कामना के लिये यह रक्षा सूत्र किसी को भी बाँधा जाता रहा है।
गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं-
''मयि सर्व मिदं प्रोक्तं सूत्रं मणि गवा
इव ''
यह सूत्र विखरे हुए को एक सूत्र में बांधकर
अविछिन्नता दर्शाता है!
लेकिन मेरे पावन भारत वर्ष में इस पर्व को भाई
बहिन के प्रेम व् रक्षा का पवित्र त्यौहार मानते हैं यह प्रेम भ्रातृ प्रेम को
प्रगाढ़ बनाता है और बहिन के द्वारा पहनाया गया रक्षा सूत्र भाई बहिन के बीच प्रेम
व् श्नेह का भाव प्रगट करता है और यही रक्षासूत्र
भाई को प्रतिबद्ध कर देता है कि हर क्षण हर पल कैसी भी विकट परस्थिति क्यों
न आये -भाई का परम कर्तव्य है विकट परस्थिति में बहिन की रक्षा करना। इस पर्व से
जुड़ी अनेक कथाएं हमारे धर्म शास्त्रों में हैं।
इस वर्ष 10 अगस्त 2014 को
रक्षावन्धन का पर्व मनाया जाएगा लेकिन इस दिन भद्रा का योग भी बन रहा है। 9
अगस्त की प्रात: 3:35मिनट से 10 अगस्त की दोपहर
1:37 मिनट तक भद्रा काल रहेगा और धर्म शास्त्रों में भद्रा काल को शुभ
कार्य में वर्जित माना गया है इसलिए 10 अगस्त को दोपहर बाद 1:37
बजे भद्रा काल समाप्त होने के बाद रात्रि 10:39 बजे तक रक्षा
बंधन मनाना शुभ रहेगा।
शुभ मुहूर्त
1-दोपहर 1:37बजे से 3:00 बजे तक शुभ
2-शाम 7:00 बजे से 8:30
बजे तक शुभ
3-रात 8:30 बजे से 10:00
बजे
तक अमृत
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Acharya Vipin Krishna (Shastri) Kandpal
Jyotishi, Vedpathi & Katha Vachak
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