दीपावली पर्व का भारत के त्योहारों में विशिष्ठ
स्थान है इस दिन धन धान्य की अधिष्ठात्री देवी भगवती लक्ष्मी के पूजन का विशेष
महत्व है.
भारतीय धर्म शास्त्रों के अनुसार इसी दिन समुद्र मंथन के समय क्षीर सागर से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थी और भगवान विष्णु को अपना पति स्वीकार
किया था।
इस दिन जब भगवान रामचंद्र लंका से रावण का उद्धार करके वापस आए तो उनका राज्यारोहण किया गया था और इस ख़ुशी के पावन अवसर पर सभी अयोध्यावासियों ने
अपने घरों में दीप जलाए थे।
इसी समय किसानों के घर में नवीन अन्न आते हैं, जिसकी ख़ुशी में दीपक जलाए जाते हैं।
यह धारणा है भी है कि इसी दिन अमावस्या से
पितरों की रात
आरम्भ होती है। कहीं वे मार्ग भटक न जाएं, इसलिए उनके लिए दीपक जलाकर प्रकाश की व्यवस्था इस रूप में की जाती है। इसीलिए
दीपावली हमारे भारतवर्ष के प्रमुख त्योहारों में से एक है यह पर्व अलग –अलग नाम से
पुरे भारतवर्ष में मनाया जाता है .कोई इसे दीपावली कहता है कोई दिवाली कहता है तो
इसी प्रकार उत्तराखण्ड में इस पर्व को बग्वाल नाम से जाना जाता है
मुहूर्त
‘’सर्वे दोषा:विनश्यन्ती लग्न
शुद्धिर्यदा भवेत्’’
कुछ
व्यापारी व्यवसायी लोग पूजन के लिये धनु लग्न को विशेष मान्यता देते है और उनकी यह
धारणा बिलकुल सही है क्योकि धनु लग्न के स्वामी वृहस्पति जी हैं जो कि शुभ ग्रह हैं
धनु लग्न
10:39 से 12:42 तक रहेगा .चर का चौघडिया 10:42 से प्रारंभ हो जाएगा और पूजा कार्य में श्रेष्ठ रहेगा.
मकर लग्न
12:42 से प्रारम्भ होकर 14:25 तक
रहेगा जिसमे लाभ अमृत का चौघडिया तो उत्तम रहेगा लेकिन राहु काल शुभ नहीं रहेगा
लग्नेश शनि होने से कारोबार में वृद्धि होगी और उच्चस्थ वृहस्पति की दृष्टि लग्न
पर रहेगी जो उत्तम योग बनाता है.
कुम्भ
लग्न 14:25 से 15:53 तक
रहेगा लेकिन यह लग्न 15:00 बजे तक राहुकाल से ग्रसित रहेगा इसलिए मेरा
व्यक्तिगत मानना है कि यह लग्न पूजन के उपयुक्त नहीं है. तत्पश्चात
मीन लग्न का आरंभ 15:53 से होगा और 17:18 मिनट तक
रहेगा इसी बीच 16:14 बजे से सूर्यास्त तक शुभ का चौघडिया बहुत अच्छा योग
कारक रहेगा .लग्न पर उच्च के वृहस्पति की दृष्टि और भाग्येश की भी दृष्टि रहेगी
इसलिए यह समय पूजन के अत्यंत लाभकारी रहेगा .
मेष लग्न
17:18 से 18:54 तक
रहेगा प्रदोष के समय मेष लग्न में पूजन करना उत्तम कारक रहेगा
‘’प्रदोष
समये राजन कर्त्तव्या दीपमालिका ‘’
लग्नेश
मंगल की स्थिति भाग्य स्थान में भाग्य विकास के लिये लाभप्रद रहेगी और अमृत चर के
चौघडिया में माता लक्ष्मी की अपार कृपा बरसेगी .
स्थिर
लग्न वृष 18:54 से प्रारम्भ होगा इस लग्न में स्थिर कर्म करने वाले
दुकानदार ,वाहन आदि के निर्माता विक्रेता यदि पूजन करें तो निश्चित ही उनको सफलता
मिलेगी और कारोवार में वृद्धि होगी .
मिथुन
लग्न 20:50 से 23:03 के मध्य
रहेगा लेकिन लग्नेश बुध राहु से ग्रसित चतुर्थ भाव में निर्बल रहेगा इसलिए विशेष
बुध ग्रह के पूजन के पश्चात दीपावली पूजन करना श्रेयस्कर रहेगा .
कर्क
लग्न 23:03 से लेकर मध्य रात्रि 1:23 तक रहेगा
और इसी निशीथ काल में समुद्र से भगवती लक्ष्मी प्रकट हुई थी.
निशीथे
लक्ष्म्यादि पूजनं कृत्यं शुभम
इस काल
में पूजन करना विशेष शुभ रहेगा ..
शुभम
भूयात
आचार्य
विपिन कृष्ण काण्डपाल