केतु एक छाया ग्रह है केतु मंडल ध्वजाकार है मनुष्य के शरीर में केतु
अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है केतु ग्रह के सूर्य और चन्द्रमा शत्रु हैं.
जन्म कुण्डली में प्रथम लग्न भाव ,षष्ठम भाव ,अष्ठम भाव ,और एकादश भाव
में केतु ग्रह को शुभ नहीं माना जाता है. कुण्डली में केतु ग्रह के द्वारा जब जातक
पीड़ित रहता है तो जातक के व्यवहार में विकारता दिखाई देने लगती है जातक के मन
दुराचार की भावना प्रबल हो जाती है, वात
कफ जन्य रोग से जातक पीड़ित रहता...