।। ॐ श्री परमात्मने नम: ।।
।। पिवत भागवतं रसमालयम् ।।
श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ
(13 जनवरी से 20 जनवरी 2016 तक)
कथा व्यास -आचार्य विपिन कृष्ण काण्डपाल
आयोजक-रावत परिवार ग्राम भिकोना (चमोली गढ़वाल) उत्तराखण्...
कुण्डली के प्रत्येक भाव अपनी अपनी दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं और इन्ही
द्वादश भावों में स्थित ग्रहों के शुभ या अशुभ
Astrologer- Vipin Krishna Kandpal
स्थिति से मनुष्य अपने जीवन काल में
सुख और दुःख का सामना करता रहता है ग्रहों की युति ,दृष्टि के अनुसार कुण्डली में
जो शुभ और अशुभ योग बनते हैं जिनके कारण व्यक्ति बुलंदियों को भी छू लेता है और जब
ग्रह स्थिति और योग अशुभ हो तो बुलंदियों को पाने वाला व्यक्ति भी दर दर भटकने
लगता है.
ऐसे ही कुछ योगों...
केतु एक छाया ग्रह है केतु मंडल ध्वजाकार है मनुष्य के शरीर में केतु
अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है केतु ग्रह के सूर्य और चन्द्रमा शत्रु हैं.
जन्म कुण्डली में प्रथम लग्न भाव ,षष्ठम भाव ,अष्ठम भाव ,और एकादश भाव
में केतु ग्रह को शुभ नहीं माना जाता है. कुण्डली में केतु ग्रह के द्वारा जब जातक
पीड़ित रहता है तो जातक के व्यवहार में विकारता दिखाई देने लगती है जातक के मन
दुराचार की भावना प्रबल हो जाती है, वात
कफ जन्य रोग से जातक पीड़ित रहता...
Pandit Vipin Krishna Shastri-Hindu Priest/Shrimad Bhagwat Katha Vachak
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ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में 6 नक्षत्र गंड मूल
नक्षत्रों की श्रेणी में माने गये हैं.-अश्वनी,-आश्लेषा,-मघा-
,ज्येष्ठा,-मूल और रेवती.
इन नक्षत्रों में उत्पन्न जातक –जातिका गंड
मूलक कहलाते हैं .इन नक्षत्रों में उत्पन्न जातक स्वयं व् कुटुम्बी जनों के लिये
अशुभ माने गये हैं.
जातो न जीवतिनरो मातुरपथ्यो भवेत्स्वकुलहन्ता |
लेकिन पहले यह जानना परम आवश्यक है कि गंड
मूल किसे कहते हैं
गंड कहते हैं –जहाँ एक राशि और नक्षत्र
समाप्त हो रहे हो उसे...