Pandit Vipin Krishna Shastri: Astrolger & Katha Vyas

Pandit Vipin Krishna Shastri-Astrolger & Katha Vyas

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Monday 7 January 2013

Jyotish Shastra-ज्योतिष शास्त्र

आकाशस्थ ग्रहों की विशेष गति व् स्तिथि से भौतिक सृष्टि पर पड़ने वाले परिणामों का विशेष विवेचन करना ही ज्योतिष शास्त्र का उद्देश्य है .

ज्योतिष शास्त्र के मुख्य रूप से दो भाग है .

    १-ग्रह ज्योतिष
    २-फलित ज्योतिष

इन दो भागों का वर्णन तीन विभागों में किया गया है

     १-सिद्धांत
     २-संहिता
     ३-जातक

ग्रह ज्योतिष में सिद्धांत और संहिता का वर्णन है और फलित ज्योतिष में जातक विभाग का वर्णन है .

                   सिद्धांत संहिता होरा रूपंस्कंध  त्रयात्मकम
                   वेदस्य निर्मलं चक्षु:ज्योति:शास्त्र मनुत्तमम.

वेद का निर्मल चक्षु ऐसा है जो ज्योतिष शास्त्र सिद्धांत ,संहिता और होरा इन तीन विभागों से युक्त है       

 १-सिद्धांत:
ग्रहों का भ्रमण ,स्पष्ट गति व् स्तिथि ,अयन,योग,ग्रहण व् आकाश में कोन सा ग्रह किस समय किस गति से भ्रमण करता है यह सिद्धांत विभाग से स्पष्ट होता है .इसीलिए इस विभाग को गणित भी कहते है .

२-संहिता:

ग्रह स्तिथि परिणाम भिन्न समय पर भिन्न देशों पर पड़ने वाले शुभाशुभ परिणामों का वर्णन जैसे-पर्जन्य ,दुष्काल ,रोग,भूकंप,युद्ध,राज्यक्रांति का स्पष्टीकरण संहिता के अंतर्गत है.

३-जातक—

मनुष्य के जन्म समय,वर्ष,अयन,ऋतु,मास,ग्रह,राशि आदि के आधार पर मनुष्य के आयुष्य में सुख-दु:ख ,प्रकृति व् प्रवृति रूप रंग जो प्राप्त होता है उसका वर्णन इस विभाग में किया जाता है .  


आचार्य विपिन कृष्णा शास्त्री
०-९९६८३२२०१४ 







Sunday 6 January 2013

भारतीय ज्योतिष एक राह के रूप में

ज्योतिष को वेद का नेत्र कहा गया है मानव समाज को आज के भोतिक परिवेश में यत्र तत्र सर्वत्र ज्योतिष की परम आवश्यकता है ज्योतिष शास्त्र के द्वारा ही हमें भविष्य में होनी वाली प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष घटनाओं से अवगत कराया जाता है ज्योतिष हमारा पथ प्रदर्शक है.

भारतीय ज्योतिष शास्त्र काल गणना का प्राचीन ग्रन्थ है इसके आधार पर ही खगोल शास्त्री काल की गणना करते है .ज्योतिष शास्त्र दो विधाओ पर आधारित है पहला गणित तथा दूसरा फलित .

इन्ही दो विधाओ के आधार पर गणितज्ञ और फलितज्ञ प्रश्नों का समुचित समाधान करके प्रश्नोत्तर देते है ज्योतिष शास्त्र में जितना महत्व गणित का है उतना ही महत्व फलित का भी है क्योकि फलित का मूल आधार ही गणित है गणित के माध्यम से ज्योतिर्विद सम्बंधित व्यक्ति की प्रश्न कुंडली,जन्मकुंडली ;नवांश कुंडली ;चलित चक्र;षड्वर्ग ;सप्तवर्ग ,रेखाष्टक,विन्शोंतरी ,योग्निदशा ,परमआयु दशा आदि के आधार पर मुहुर्तादी का शुभाशुभ फल भी ज्योतिषीय गणित के आधार पर ही किया जाता है .हजारो वर्ष पुरानी भारतीय संस्कृति का नेत्र कहा जाने वाला ज्योतिषीय शास्त्र आज भी अपनी प्रमाणिकता के कारण अपनी कीर्ति कौमुदी को चारो दिशाओ में फहरा रहा है.

भारत वर्ष में इस त्रिकालदर्शी शास्त्र का जन्म हजरोवर्ष पूर्व मानव प्राणी के कल्याण के लिए अर्थात अज्ञानी को ज्ञानी, नास्तिक को आस्तिक ;दुखियो को सुखी तथा पतितो का उद्धार कर उनके मन में राष्ट्रधर्म की भावना उत्पन्न करने के लिए हुआ था इसके ज्ञान से प्रत्येक व्यक्ति ,कुटुंब व् सम्माज लाभान्वित होते है , ज्योतिष का फलित विभाग आपत्ति रूपी समुद्र को पार करने वाली नोका,प्रवास समय में उचित सलाह देने वाला सच्चा मित्र व् धन अर्जित करते समय योग्य मार्ग दर्शक मंत्री कहलाता है

आचार्य विपिन कृष्ण शास्त्री 
दिल्ली ,उत्तराखंड